Everything about bhoot ki kahani
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Bhoot ki kahani
प्रसाद ने पहले तो उसे डांटा कि वह पटरी के इतने पास क्यों गया। रमेश ने प्रसाद को अपने साथ घट रही सारी अजीब घटनाओं के बारे में विस्तार से बताया। प्रसाद तुरंत ही समझ गया। उसने कहा, इस इलाके में कई छलावे रहते हैं। वो सब रूप और शरीर बदल बदलकर आपसे बात करना चाहते हैं। उसके बाद आपको नुकसान पहुंचाने की भी कोशिश करते हैं।
यह एक आंखों देखी घटना है। एक बार गर्मी के छुट्टियों में मैं और मेरी बहन मामा के घर घूमने गए थे। मामा के घर में नानी मुझे बहुत प्यार करती थी । और मेरी बहनों को यह पसंद नहीं आता था । क्योंकि वे थोड़ी शरारत वाली और थोड़ी मस्ती भी करती थी।
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रमेश घबराकर स्टेशन से भागने लगा। तभी उसका पैर एक लाश से टकरा गया और वह गिर पड़ा। उसने देखा कि सामने प्रसाद की लाश पड़ी थी और ऐसा लग रहा था कि उसे मरे हुए काफी दिन हो चुके थे। रमेश घबराकर उठने लगा और उठकर भागने लगा। लाश की आंखें खुली और वह रमेश के पैरों पर लिपट गई।
औरत ने पूछा क्या लाऊं फिर अघोरी ने बोला जैसे नींबू ,सवा किलो मिठाई, सवा मीटर लाल कपड़ा और एक फूलों का हार लेकर आओ .
रमेश अपना बैलेंस नहीं बना पाया और पृथ्वी पर गिर गया। उसने ट्रेन की आवाज सुनी और घबरा गया। उसे सब धुंधला दिखाई दे रहा था। वह डर से चिल्लाने लगा। तभी रेलवे स्टेशन मास्टर प्रसाद भागा हुआ आया और उसने रमेश को पटरी से बाहर निकाला। रमेश कुछ देर तक बेहोश रहा। रेलवे मास्टर प्रसाद ने रमेश के ऊपर पानी छिड़का तो वह उठकर चिल्लाने लगा। प्रसाद ने उसे शांत किया और उसे दिलासा दिया कि वह ठीक है। रमेश को कुछ भी समझ नहीं आ रहा था कि उसके साथ यह कैसे हादसे हो रहे हैं।
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तभी मेरी नजर ऊपर गई और मैंने देखा की धुआ जैसा कुछ उठ रहा है । तब मैंने अपनी मां को जगाया और माँ को बोला माँ ऊपर देखो । यह काला काला धुंआ जैसा क्या उठ रहा है। मेरी मां समझ गई ।
खैर कुछ दिनों के बाद मैं अपने उस डॉट श्याम लाल के घर दुबारा गया और उसे अपनी पूरी कहानी बताई!
Ideal horror Tale in hindi for children: गौरब हिमालय के पास के छोटे से गांव में रहता था। उसके गांव के आसपास घने जंगल थे और एक छोटी सि नदी भी पास थी। रात को जंगलों में घूमने वाली आत्माओं और भूतों की कहानियों को सुनते-सुनते गौरब बड़ा हुआ था।
प्रसाद की लाश जोर जोर से चिल्लाने लगी। उसे कोई बचाने और वह मरना नहीं चाहता था। रमेश को कुछ भी समझ नहीं आ रहा था। उसने अपनी पूरी जान लगा दी। उस स्टेशन से बाहर निकलने में और घबराता हुआ रमेश उस स्टेशन से भाग गया। कुछ दिनों बाद एक नया गार्ड स्टेशन पर ड्यूटी करने आया।
लेकिन जब से मेरी मां के साथ ऐसा हादसा हुआ था । तब से मां को थोड़ी भूलने की बीमारी और थोडी डरने की बीमारी हो गई ।और एक कमरे में बंद रहने लगी । क्योंकि बाहर अभी भी चाची की आत्मा दिखाई देती है । लोग बोलते हैं कि यह असत्य है। लेकिन जिसके ऊपर बीतती है । वही जानता है । bhoot ki kahaniya
घर के अंदर का माहौल बाहर के जैसा भयानक था। छत से जाले लटक रहे थे और हर कदम पर कुछ न कुछ सामान बिखरा परा था। अचानक, गौरब को ऊपर एक आवाज सुनाई दी। उसे लगा की आसपास कोई चल रहा है। गौरब हिम्मत करके ऊपर गया और देखा लम्बी बाल वाली एक औरत सफ़ेद साडी में उसके तरफ आ रही है।